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सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के लिए अपमानजनक बयान देने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि अगर वह इस तरह के बयान देंगे तो उस पर वह खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करेगा. हालांकि, कोर्ट ने राहुल को अंतरिम राहत देते हुए लखनऊ की एसीजेएम कोर्ट से जारी समन पर रोक लगा दी है.

राहुल की दलील
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने यूपी सरकार और शिकायतकर्ता नृपेंद्र मिश्रा को नोटिस जारी कर राहुल की याचिका पर जवाब देने को कहा है. राहुल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि उन पर समाज में वैमनस्य फैलाने का आरोप नहीं बनता. महाराष्ट्र में दिए बयान के लिए यूपी में केस होना गलत है. शिकायकर्ता उनके बयान से सीधे प्रभावित नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आप कुछ कानूनी बिंदु उठा रहे हैं. उनके आधार पर हम नोटिस जारी कर रहे हैं, लेकिन क्या आप समझते हैं कि आपने बयान महाराष्ट्र में दिया. वहां लोग सावरकर की पूजा करते हैं. आपको हमें आश्वासन देना चाहिए कि इस तरह का गैरजिम्मेदाराना बयान भविष्य में नहीं देंगे. ऐसे बयान पर हम खुद संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू करेंगे.’ इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह इस बात को समझ गए हैं.

‘आपकी दादी भी कर चुकी हैं तारीफ’
1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से स्वातंत्र्य वीर सावरकर स्मारक के सचिव को लिखी चिट्ठी का हवाला देते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा, ‘आपकी दादी ने भी सावरकर की प्रशंसा करते हुए चिट्ठी लिखी थी. स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास-भूगोल के बारे में जानकारी जुटाइये.’

‘क्या गांधीजी को भी नौकर कहेंगे?’
जज ने कहा, ‘महात्मा गांधी भी अंग्रेज वायसराय को भेजे पत्र में स्वयं को ‘आपका निष्ठावान सेवक’ लिखते थे. क्या उसके चलते कोई उन्हें भी अंग्रेजों का नौकर कह देगा? हाई कोर्ट के कई जज भी अपने पत्राचार में खुद को सेवक लिख देते हैं. क्या ऐसा लिखने भर से कोई नौकर हो जाता है?’ कोर्ट ने राहुल को आगाह करते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा. जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई, उन्हें अपमानित नहीं करना चाहिए.

यह है मामला?
लखनऊ के रहने वाले वकील नृपेंद्र पांडे ने राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153(A) और 505 का मुकदमा दायर किया है. इसमें बताया गया है कि 17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने वीर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर और पेंशन लेने वाला कहा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से तैयार पर्चे भी पत्रकारों को दिए गए. यह दिखाता है कि पूरी तैयारी से समाज में नफरत फैलाने के इरादे से राहुल ने वह विवादित बयान दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 4 अप्रैल राहुल के खिलाफ जारी समन निरस्त करने से मना कर दिया था.

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