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ताजमहल के 5 किलोमीटर के दायरे में हमारी अनुमति के बिना न हो पेड़ों की कटाई: सुप्रीम कोर्ट

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ताजमहल के 5 किलोमीटर के दायरे में हमारी अनुमति के बिना न हो पेड़ों की कटाई: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 मई, 2025) को उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के 5 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने संबंधी अपने 2015 के निर्देश को दोहराया. 

ताज ट्रेपेज़ियम जोन (टीटीज़ेड) का मामला शीर्ष अदालत के समक्ष विचारणीय है. इसके तहत लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है.

‘पेड़ों की कटाई के लिए लेनी होगी परमिशन’
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने कहा कि ऐतिहासिक स्मारक से पांच किलोमीटर के दायरे से परे लेकिन टीटीजेड के भीतर के पेड़ों की कटाई के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी और अधिकारी उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्य करेंगे.

पीठ ने कहा, ‘जहां तक ​​ताजमहल के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों का सवाल है तो 8 मई 2015 का मूल आदेश लागू रहेगा. ऐसे मामलों में पेड़ों की कटाई की अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, भले ही पेड़ों की संख्या 50 से कम हो. यह अदालत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति से सिफारिश मांगेगी और उसके बाद पेड़ों की कटाई पर विचार करेगी.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘जब तक पेड़ों की कटाई की अत्यंत आवश्यकता न हो, प्रभागीय वन अधिकारी को यह शर्त लगानी होगी कि पेड़ों की कटाई तभी की जा सकती है, जब प्रतिपूरक वनरोपण सहित अन्य सभी शर्तों का अनुपालन कर लिया जाए.’ पीठ ने डीएफओ या सीईसी को निर्देश दिया कि वे पेड़ों की कटाई की अनुमति देने से पहले निर्धारित शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करें.

आगरा किला और फतेहपुर सीकरी की सुरक्षा को लेकर मांगी रिपोर्ट
अदालत ने सीईसी से एक रिपोर्ट मांगी है जिसमें यह बताया जाए कि क्या दो अन्य विश्व धरोहर इमारतों आगरा किला और फतेहपुर सीकरी की सुरक्षा के लिए कोई अतिरिक्त प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इस बीच, अदालत ने आगरा स्थित एक न्यास की एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें निजी भूमि पर लगे पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति लेने की शर्त में ढील देने की मांग की गई थी.

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