
जाति जनगणना: जब 1990 में राजीव गांधी ने किया था आरक्षण पर फैसला का कड़ा विरोध
Caste Survey: केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है. मोदी सरकार का कहना है कि जाति के आंकड़े अगली जनगणना का हिस्सा होंगे और यह कदम समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सकारात्मक कार्रवाई में सहायक होगा. इसके तुरंत बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को ये फैसला लेने के लिए मजबूर करने का श्रेय लिया.
6 सितंबर 1990 को वीपी सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने पहले ही मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला कर लिया था, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की गई थी, जिससे कुल आरक्षण 49.5 प्रतिशत हो गया. तब इस कदम का पूर्व प्रधानमंत्री, तत्कालीन विपक्ष के नेता और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने कड़ा विरोध किया था.
वीपी सिंह सरकार के फैसले की पृष्ठभूमि भी कश्मीर से जुड़ी थी
दिलचस्प ये है कि वीपी सिंह सरकार के 1990 के फैसले की पृष्ठभूमि भी कश्मीर से जुड़ी थी. उस दौरान घाटी में आतंकवाद चरम पर था और 1990 के पहले कुछ महीनों में कई कश्मीरी हिंदुओं की हत्या हुई थी, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय का पलायन हुआ था. कश्मीर की स्थिति और कश्मीरी पंडितों के जबरन पलायन को लेकर वीपी सिंह दबाव में थे, जो दशकों बाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभरा.
मंडल आयोग
मंडल आयोग का गठन 1978 में किया गया. जब जनता पार्टी ने इमरजेंसी के बाद के सालों में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को करारी जीत दिलाई थी. बीपी मंडल की अध्यक्षता वाले इस आयोग का काम सामाजिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना था. रिपोर्ट 1980 में प्रस्तुत की गई थी, तब तक जनता पार्टी सत्ता से बाहर हो चुकी थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के रूप में वापस आ गई थीं. अगले दशक में कई प्रमुख राष्ट्रीय घटनाक्रम हुए, जिनमें पंजाब में अलगाववादी आंदोलन, ऑपरेशन ब्लूस्टार जिसमें भारतीय सेना ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर धावा बोला और इंदिरा गांधी की हत्या शामिल थी.
इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने, लेकिन मंडल आयोग की रिपोर्ट में कोई प्रगति नहीं हुई. 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की करारी हार हुई और वाम दलों और बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. 1990 में वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया, जिससे देश में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया.
लोकसभा में क्या कहा था राजीव गांधी ने ?
संसद के रिकॉर्ड में दर्ज 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के सरकार के फैसले के समय पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि यह ऐसा समय है जब देश कई गंभीर समस्याओं से गुजर रहा है. कश्मीर में स्थिति आजादी के बाद से अब तक की सबसे खराब है. पंजाब में स्थिति शायद पहले से भी खराब है. असम भी इस सूची में शामिल हो गया है. तमिलनाडु भी इसके बहुत करीब पहुंच गया है.
उन्होंने कहा था कि अगर मुझे सही से याद है तो प्रधानमंत्री ने इसी सदन में बोलते हुए देश से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा था. इसके अलावा भाषा के सवाल पर हमारे बीच पहले से ही उत्तर-दक्षिण में तनाव है. उन्होंने कहा था कि एक तरफ प्रधानमंत्री देश को युद्ध के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार रहने के लिए कह रहे हैं और दूसरी तरफ वे हमारे समाज में दरार पैदा कर रहे हैं. तब और अब की पृष्ठभूमि में कई समानताएं हैरान करने वाली हैं. कश्मीर में एक बार फिर तनाव है तो वहीं केंद्र दक्षिणी राज्यों के साथ भाषा विवाद में उलझा हुआ है.
ये भी पढ़ें:
पहलगाम हमला: पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट से भारत पर किए जा रहे साइबर अटैक, डार्क वेब पर डेटा लीक
More Stories
सीजफायर के बाद विक्रम मिसरी सोशल मीडिया पर हुए ट्रोल, बचाव में उतरे असदुद्दीन ओवैसी और अखिलेश याद