
स्पेस में भारतीय सैटेलाइट कर रहे डॉगफाइट, जानें क्यों हो रही ये वॉर एक्सरसाइज
भारत अंतरिक्ष में एक पीछा करने वाले और लक्ष्य उपग्रह के बीच एक दुर्लभ डॉगफाइट संचालित कर रहा है, जो पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहा है. चीन के रक्षा उपग्रहों ने साल 2024 में पृथ्वी की निचली कक्षाओं में डॉगफाइट का अभ्यास किया था, जिसके बाद अब भारत भी इसका अभ्यास कर रहा है.
अंतरिक्ष में डॉगफाइटिंग का मतलब अंतरिक्ष यान के बीच समन्वित सीमा युद्धाभ्यास से है, जो लड़ाकू जेट के बीच हवाई डॉगफाइट के समान है. भारत का ये प्रयास भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी स्पैडेक्स मिशन का एक और उपयोगी विस्तार है.
‘भारतीय सैटेलाइट गोली की रफ्तार से 10 गुना अधिक तेजी से उड़ रहे’
दो भारतीय उपग्रह 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से अंतरिक्ष में उड़ रहे हैं. ये ऐसी रफ्तार है जो एक यात्री जेट की तुलना में 28 गुना अधिक और एक गोली की गति से 10 गुना अधिक है. इसरो की तरफ से संचालित इस सटीक उड़ान पैटर्न में दोनों उपग्रह स्वायत्त रूप से भाग ले रहे हैं. दोनों उपग्रह मिलन और निकटता रणनीति का संचालन कर रहे हैं.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस मौजूदा डॉगफाइट से कुछ सप्ताह पहले चेज़र और लक्ष्य उपग्रह के बीच एक विस्तारित लेकिन मैन्युअल रूप से संचालित परिक्रमा की गई थी. इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि स्पैडेक्स मिशन में भारत ने पहले ही दो बार डॉकिंग और अनडॉकिंग का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है. इसरो प्रमुख ने कहा कि इन विस्तारित डॉकिंग और अनडॉकिंग युद्धाभ्यासों के बाद दोनों उपग्रहों में अभी भी 50 प्रतिशत ईंधन बचा हुआ था.
‘अंतरिक्ष में शांतिपूर्ण रोबोटीकरण का ये प्रौद्योगिकी प्रदर्शन’
इसरो प्रमुख ने कहा कि एक सटीक रॉकेट लॉन्च और किफायती कक्षीय प्रबंधन ने दोनों उपग्रहों में लगभग 2.5 किलोग्राम ईंधन बचा लिया है, उन्होंने कहा कि इससे मिशन का जीवनकाल बढ़ाने में मदद मिलती है.
स्वतंत्र थिंक टैंक आत्मनिर्भर सोच के निदेशक और संस्थापक अंशुमान नारंग ने कहा कि अंतरिक्ष में इस हवाई लड़ाई के माध्यम से इसरो सही तकनीकी सीमा को आगे बढ़ा रहा है. यह अच्छी बात है कि उन्नत स्वदेशी तकनीक के माध्यम से अंतरिक्ष में शांतिपूर्ण रोबोटीकरण का यह प्रौद्योगिकी प्रदर्शन है.
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