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इंडोनेशिया में 3 भारतीयों को मिली थी सजा-ए-मौत, जिंदगी का सहारा बनकर आई भारत सरकार

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इंडोनेशिया में 3 भारतीयों को मिली थी सजा-ए-मौत, जिंदगी का सहारा बनकर आई भारत सरकार

Delhi High Court: तमिलनाडु के तीन आम परिवारों के लिए पिछले कुछ महीने किसी दुःस्वप्न से कम नहीं रहे. राजू मुथुकुमारन, सेल्वदुरई दिनाकरन और गोविंदसामी विमलकंधन तीनों सिंगापुर की एक शिपिंग कंपनी में काम करते थे, मेहनतकश थे और अपने परिवारों के लिए रोजी-रोटी कमाते थे. लेकिन जुलाई, 2024 में, इंडोनेशिया में लेजेंड एक्वेरियस नामक एक जहाज पर 106 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ के साथ गिरफ्तार होने के बाद उनकी जिंदगी अचानक थम गई. 25 अप्रैल, 2025 को इंडोनेशिया के तंजुंग बालाई करीमुन जिला अदालत ने उन्हें मादक पदार्थ कानून के तहत मौत की सजा सुनाई. यह खबर जब भारत में उनके परिवारों तक पहुंची, तो परिवार के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई.

पीड़ित परिवारों ने दिल्ली हाई कोर्ट से लगाई गुहार

तीनों की पत्नियां, जिनकी जिंदगी उनके पतियों पर टिकी थी. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनका आग्रह सीधा था हमें हमारे पति वापस चाहिए. हमारे पतियों को न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने अदालत से अपील की कि भारत सरकार अपने नागरिकों की मदद करे, क्योंकि वे न कानूनी प्रक्रिया जानते थे, न ही उनके पास विदेश में मुकदमा लड़ने के संसाधन थे.

केंद्र सरकार का संज्ञान, कोर्ट का निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शुक्रवार (2 मई) को भारत सरकार को निर्देश दिया कि वह इंडोनेशिया में भारतीय दूतावास के माध्यम से दोषियों को पूरी कानूनी सहायता उपलब्ध कराए. मंगलवार (6 मई) को कोर्ट में पेश हुए केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि दूतावास पहले ही सक्रिय हो चुका था. उपवाणिज्य दूत ने खुद ही ‘अपील करने की मंशा’ का पत्र शुक्रवा (2 मई) को दाखिल कर दिया, क्योंकि परिवार की ओर से समय पर ऐसा करना संभव नहीं था. अब अपील जल्द ही दाखिल की जाएगी और एक वकील की नियुक्ति भी की जा रही है.

दूतावास से लगातार संपर्क, कूटनीतिक प्रयास भी जारी

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि जुलाई 2024 से ही दूतावास इंडोनेशियाई अधिकारियों के संपर्क में है और नियमित रूप से दोषियों से मिल रहा है. उन्हें कांसुलर एक्सेस दी गई है और दूतावास ने हर स्तर पर उनके हित में कार्रवाई की है.

मां-बच्चों की निगाहें अदालत पर टिकीं

तीनों पुरुषों की पत्नियां आज भी उसी छोटे से घर में अपने बच्चों के साथ उनका इंतजार कर रही हैं  हर फोन कॉल, हर खबर उनके लिए उम्मीद की एक किरण है. मामले में सुनवाई के दौरान परिवार के लोगों ने कहा कि वो सिर्फ दोषी नहीं हैं, वो पिता हैं, पति हैं, बेटे हैं.. इस मामले में अगली सुनवाई अब 4 अगस्त को होगी, जब केंद्र सरकार को कोर्ट में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करनी है.

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